Thursday, September 30, 2010

रातें


निशब्द बातें,
धुंधली यादें,
बोझिल नींद,
बचपन की चहक में
भूली बिसरी रातें ..

पानी की टिप-टिप,
घड़ी की टिक-टिक,
चिल्लाता सन्नाटा,
कुछ बनने की चाह में
जगती रातें...

खुशबू सोंधी- सोंधी,
बारिश हल्की- हल्की,
गर्म सांसें, ख्वाब पलछिन,
प्यार की सरगोशी
चुटकी में गुजरती रातें...

कचौटता बिस्तर,
टांडे पांव, ठंडी नाक,
नींद भरी आँखें,
जिदगी की ढलान पर,
लम्बी सर्द रातें...

2 comments:

  1. nice to see hindi poem, i remember my school days when i used to struggle with hindi poems.....and liked the purple tree....

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  2. thanks jaan-e-mann...and i know u wud hav understood the bhawarth of this kavita too!!!

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