Thursday, June 30, 2011

Gaanth- गांठ

छनकती, छिटकी चांदनी
झांकती चटके कांच से..
सुलगती, सीपती, शबनमी,
बीती रातों की आंच पे.....

बिखरी बातों की उलझनें,
कटी डोरी जो मांझ से..
गिरते उमंग की खिरचें,
खिंचती, मिटती हर साँझ में...

गुमसुम, गुमनाम चाहतें,
मन की गांठों में, फांस में..
तुमको पाने का इक फितूर,
अब भी है सुबह की झांस* में...


भूला, धुंधला धुन कोई
छुपा कहीं एक बांस में..
बन जाये वो बांसुरी,
आस बसी हर सांस में...

* locally used in hindi for the the sensorial one gets while using raw mustard oil/seed or while peeling onion. The buzz that it send to the head.