Sunday, May 1, 2011

Antardwand

A dying flame which flutters every time I go back in my mind. I wish I never had May 2010 in my calender...when I lost her. I had known her all my life. If I call her today she would pick up the phone and tell me she is still there but I know I can never reach her again.

I miss you D.


ज़िन्दगी की किताब के
पन्ने पलट गये
तुम क्या गये
हम बदल गये…

छिटकी चांदनी में
सिसकती रात और
अँधेरी सुबह के
आसमान बदल गये...

बारिश में जलती
सोंधी धरती,
ये सिहरती धूप,
हर मौसम बदल गये...

कोरी आँखों के
धुंधले सपने,
अपनों की अक्स के
चेहरे बदल गये...

हाथ बढाया तो
साथी छूट गये,
कदम बढाया
तो राह बदल गये...

तुम से मिल के भी
तुम से ना मिले,
तुम्हारी तस्वीर के
रंग बदल गये...

कुछ इस तरह
हर बात उलझी,
कि सच और झूठ के
मायने बदल गये...

काश वो दिन ना आते
जब बचपन बदल गये,
दिन बदल गये
अब तो साल भी बदल गये...

No comments:

Post a Comment