Friday, May 31, 2013

...and the reason is You!

सांसो की डोर से
ज़िंदगी पिरो रखी थी
वो जाने किस जनम की
गिरह माँग बैठे

खुशी की वजह वो
उदासी भी उनसे
वो अपनी उदासी में
मेरे माथे पे शिकन की
वजह माँग बैठे

उनकी मय्यत पे
जनाज़ा हम अपना भी
सज़ा लेते,
जो वो मुझसे मेरे
जीने की वजह माँग बैठे


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